भारत-पाकिस्तान युद्ध पर अभी संशय बरकरार है. शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्तता के बाद भारत और पाकिस्तान ने सीजफायर यानी संघर्ष विराम का ऐलान किया था. अमेरिकी की मध्यस्तता के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने डोनाल्ड ट्रंप का शुक्रिया कहा था, इस सीजफायर को लेकर अमेरिका के प्रतिष्ठत न्यूज नेटवर्क न्यूर्याक टाईम्स (NYT) ने एक बड़ा दावा किया है.

NYT ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि शुरूआत में अमेरिका की भारत-पाकिस्तान युद्ध में को दिलचस्पी नहीं थी. जिसके तहत अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस कई न्यूज इटरव्यूज में स्पष्ट कर चुके थे कि उस लड़ाई में अमेरिका का कोई काम नहीं है. बस अमेरिका युद्ध रोकने के लिए दोनों को सुझाव दे सकता है और ये अमेरिकी की लड़ाई नहीं है, लेकिन उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के इस बयान के 24 घंटे के बाद भी दक्षिण एशिया में परमाणु विस्फोट की आंशका के चलते ट्रंप प्रशासन को इस युद्ध में मध्यस्तता के लिए उतरना पड़ा.

रावलपिंंडी एयरबेस पर हमले से ‘बिगड़ी बात’? यहीं पाक के परमाणु बम

NYT ने अपनी रिपाेर्ट में लिखा है कि भारत और पाकिस्तानी वायु सेना के बीच हवाई जंग शुरू हो गई थी. जिसके तहत पाकिस्तान ने अपनी हवाई ताकत का प्रदर्शन करने के लिए 300 से 400 ड्रोन भारतीय हवाई क्षेत्र में भेजे, लेकिन इस पूरे मामले में शुक्रवार को दिलचस्प मोड़ तब आया, जब पाकिस्तान के रावलपिंंडी स्थित नूरखान एयर बेस पर विस्फोट हुआ, जो इस्लामाबाद से सटा हुआ एक छावनी शहर है.

न्यूज नेटवर्क अपनी रिपोर्ट में लिखता है कि ये पाकिस्तान का महत्वपूर्ण एयरबेस है, जो पाकिस्तानी विमानों को फ्यूल सप्लाई करता है. तो वहीं ये क्षेत्र पाकिस्तान के उस सेंटर के पास भी स्थित है, जो परमाणु डिपो की देखरेख और सुरक्षा करता है, जिसमें लगभग 170 परमाणु बम होने का दावा न्यूज नेटवर्क ने किया है. नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस घटना के बाद अमेरिकी प्रशासन को युद्ध में हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित किया.

पाकिस्तान को भारत की चेतावनी ?

NYT अपनी रिपोर्ट पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से परिचित एक पूर्व अधिकारी के हवाले से लिखता है कि नूर खान एयरबेस पर मिसाइल अटैक को चेतावनी के तौर पर देखा जा सकता है कि भारत ऐसा कर सकता है. वहीं पूर्व अधिकारी ने कहा कि वहीं पाकिस्तान को अपने परमाणु कमान प्राधिकरण के कमजोर होने का भी डर है. वहीं न्यूज नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक बुलाई थी, जो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कैसे और कब करना है, इस बारे में निर्णय लेने वाला छोटा समूह है. इसके नाममात्र के अध्यक्ष पाकिस्तान के पीएम होते हैं.

ट्रंप ने वेंस से करवाया पीएम मोदी को फोन

NYT की रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे मामले के बाद अमेरिकी प्रशासन ने संभावित परमाणु शक्तियों के टकराव को कम करने की कोशिश की. साथ ही पेंटागन ने पाया कि संघर्ष विराम के लिए सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के हस्तक्षेप का बहुत कम प्रभाव पड़ा था. तो वहींट्रंप प्रशासन भी चिंतित था कि तनाव कम करने के संदेश दोनों पक्षों के शीर्ष अधिकारियों तक नहीं पहुंच रहे थे.

ऐसे में ट्रंप प्रशासन ने फैसला लिया कि उपराष्ट्रपति जेंडी वेंस (उनकी पत्नी उषा के माता-पिता भारतीय अप्रवासी हैं, जो अपनी पत्नी के साथ भारत की यात्रा से कुछ हफ़्ते पहले लौटे थे) को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करना चाहिए. इस पर वेंस ने फोन कर पीएम मोदी से फोन पर बातचीत पर हमलों के विकप्लों पर विचार करने का अनुरोध किया था. साथ ही उन्होंने कहा कि इसका विकल्प एक संभावित ऑफ रैम्प भी शामिल है, जो पाकिस्तान को स्वीकार्य होगा. न्यूज नेटवर्क लिखता है कि पीएम मोदी ने उनकी बात सुनी, लेकिन किसी भी विचार पर अपनी प्रतिबद्धता नहीं जताई.